एक कहानी के माध्यम से कुछ सिखाने का प्रयास करूंगा जिसे आप अपने जीवन में लागू करके सरलता से सफलता को प्राप्त कर सकते हैं तो आइए शुरू करते हैं कहानी शुरू करने से पहले आपसे एक निवेदन करूंगा कहानी को ध्यानपूर्वक पढ़ें जिससे कहानी को समझकर आप कुछ सीख सकें और आगे बढ़ सके।
एक छोटे गांव में ब्राह्मण परिवार में भोला नाम का लड़का था वह बहुत आलसी था वह कुछ भी करना नहीं चाहता था उसका केवल एक ही टारगेट था बस खाना है, घूमना है और सोना है इसके अलावा और कोई भी काम नहीं करता था परिवार के लोग भी उससे बहुत परेशान थे ये लडका कुछ भी नहीं करता है इसका जीवन कैसे चलेगा।
1 दिन उसके किसी मित्र ने उसे बताया गांव से थोड़ी दूरी पर एक आश्रम है जहां पर एक गुरुजी प्रवचन देते हैं बाकी लोग सुनते हैं और कोई भी काम नहीं करना पड़ता है दो वक्त की रोटी भी मिलती हैं कोई टेंशन वाली बात ही नहीं है यह सुनकर बोला बहुत खुश हुआ और उसने सोचा क्यों ना गुरुजी के पास जाकर रहा जाए जिससे कोई काम ना करना पड़े और खाना भी मिलता रहे।
अपना सांसारिक जीवन छोड़कर आश्रम में रहने चला गया और वहीं पर प्रवचन सुनता, खाना खाता और आराम से सो जाता उसका जीवन वहां पर बहुत ही बढ़िया बीतने लगा लेकिन एक दिन अचानक आश्रम में खाना नहीं बना भोला यह सुनकर बहुत ही परेशान हो गया और अपने गुरु जी के पास गया गुरु जी से पूछा गुरु जी आज खाना नहीं बना मुझे बहुत जोर से भूख लगी है तो गुरु जी ने बताया आज एकादशी है आज के दिन आश्रम में खाना नहीं बनता है सभी साधु संत आज के दिन उपवास रहते हैं भोला आज तुम्हें भी उपवास रखना होगा भोला गुरुजी से बोला मैं भूखा नहीं रह सकता हूँ आपसे निवेदन है कि मेरे लिए कुछ खाने की व्यवस्था कर दीजिए नहीं तो मैं मर जाऊंगा गुरुजी ने उसकी बात सुनकर उससे कहा चलो एक काम करो भंडार ग्रह में से कुछ सामान ले जाओ और नदी के किनारे जाकर बना लेना और एक बात का ध्यान रखना खाना खाने से पहले भगवान का भोग लगाना उसके बाद ही खाना खाना इतनी बात सुनकर भोला भंडार ग्रह में गया और वहां से एक व्यक्ति का खाने का सामान लेकर नदी किनारे पहुंच गया और उसने अपने लिए खाना बनाकर तैयार कर लिया।
तभी उसे गुरुजी की बात ध्यान आई गुरु जी ने बोला था खाने से पहले भगवान को भोग लगाना भोला हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना की भगवान श्री राम आइए और भोग लगाइए थोड़ी देर बाद उसने आंख खोली तो कोई नहीं आया उसने सोचा ऐसे भगवान नहीं आते हैं और एक बार फिर उसने अपनी आंखें बंद की और प्रार्थना की हे भगवान श्री राम आइए और भोग लगाइए मुझे पता है आपको रूखा सूखा खाने की आदत नहीं है लेकिन मैंने जो भी बनाया है आप आइए और भोग लगाइए भगवान श्री राम उसकी इस सरलता को देखकर प्रभावित हो गए और वहां पर प्रकट हो गए भोला बोला आइए प्रभु भोग लगाइए अपना मन ही मन सोचने लगा प्रभु तो आ गये मैंने तो एक ही व्यक्ति का खाना बनाया है भगवान हैं तो उन से मना भी नहीं कर सकते हैं तो जो भी उसने खाना बनाया था भगवान श्रीराम को दे दिया प्रभु ने भोजन ग्रहण किया और अंतर्ध्यान होकर चले गए भोला बेचारा भूखा ही रह गया और आश्रम लौट गया।
अगली एकादशी फिर से आ गई और खाना नहीं बना तो उसने गुरुजी से निवेदन किया तो गुरु जी ने बोल दिया कि जाओ भंडार से सामान ले जाओ नदी किनारे जाकर बना कर खा लेना और खाने से पहले भगवान को भोग जरूर लगाना भोला भंडार से दो व्यक्तियों का खाना लेकर चला गया और दो व्यक्तियों का खाना बना लिया हाथ जोड़ लिए भगवान से प्रार्थना की भगवान श्री राम आइए भोग लगाइए प्रार्थना सुनकर भगवान प्रकट हो गये इस बार अकेले नहीं आई सीता माता भी उनके साथ प्रकट हुई अब भोला ने केवल दो ही व्यक्तियों को खाना बनाया था वह समझ गया इस बार भी भूखा रहना पड़ेगा उसने प्रभु को खाना दे दिया भगवान श्री राम और माता सीता ने भोजन ग्रहण किया और अंतर्ध्यान हो कर चले गए।
भोला फिर आश्रम लौट गया और अपना जीवन जीने लगा गुरु जी के प्रवचन सुनता‚ खाना खाता और सो जाता उसको इसके अलावा कोई और काम नहीं था। अगली एकादशी फिर से आ गई भोला ने सोचा इस बार 6 आदमियों का खाना लेकर चलता हूं भंडार ग्रह में से जब उसने 6 आदमियों का खाना लेकर जाने को बोला तो भंडार गृह के कर्मचारी ने गुरु जी को यह बात बताई गुरुजी भी सोच में पड़ गए कि भोला क्या कर रहा है उन्होंने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं भोला अनाज को बाजार में बेच देता हो अब गुरु जी को क्या पता था कि भगवान तो आते हैं उनके साथ में कुछ और भी देवता आते हैं जिनके लिए वह खाना लेकर जा रहा है तो गुरु जी भी यह पता लगाने के लिए उसके पीछे-पीछे नदी किनारे पहुंच गए और छुप कर बैठ गए।
इस बार भोला ने खाने के लिए कोई भी तैयारी नहीं की बस सामान ले जाकर रख दिया हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करने लगा भगवान श्री राम को मालूम था किसने कुछ बनाया तो है ही नहीं लेकिन फिर भी उसकी सरलता को देखते हुए भगवान सीता माता के साथ प्रकट हुए इस बार उनके साथ लक्ष्मण जी‚ हनुमान जी‚ भरत जी‚ शत्रुघ्न जी भी आए।
भगवान जी जैसे ही प्रकट हुए तो भोला इस बार मैंने कुछ भी नहीं बनाया है आप हर बार किसी ना किसी को साथ लेकर आते हैं मुझे पता ही नहीं चलता कौन-कौन आ रहा है इसलिए मैंने आज कुछ भी नहीं बनाया है पूरा सामान रखा हुआ है बनाइए और खाइए और मुझे भी खिलाइए मैं हर बार खाना बनाकर रखता हूं लेकिन मैं ही हर बार भूखा रह जाता हूं भगवान ने मुस्कुराते उसकी तरफ देखा और माता सीता को भोजन बनाने के लिए इशारा किया।
गुरु जी यह सब दूर से देख रहे थे और सोच रहे थे दिख तो कोई नहीं रहा है यह बातें किससे कर रहा है कहीं यह पागल तो नहीं हो गया है गुरु जी उसके पास आए और भोला से पूछा किससे बातें कर रहे हो मुझे तो कोई दिख नहीं रहा तो भोला गुरु जी को बताया कि गुरु जी आपने ही बताया था खाना बनाकर सबसे पहले भगवान जी को भोग लगाना उसके बाद ही खाना भगवान जी आए हुए हैं मेरे सामने बैठे हुए हैं इनसे ही बातें कर रहा हूँ गुरुजी बोले मुझे तो कोई दिख नहीं रहा है। ऐसा क्यों?
तो भोला ने प्रभु श्रीराम से पूछा मेरे गुरु जी को आप क्यों नहीं दिखाई दे रहे हैं भगवान श्रीराम ने भोला जितनी सरलता तुझ में है उतनी तेरे गुरु में नहीं है बस यही कारण है कि मैं तुझको दिखाई दे रहा हूं तेरे गुरुजी को नहीं भोला ने भगवान जी से प्रार्थना कि यह मेरे गुरु जी हैं इनको भी आप दर्शन दीजिए नहीं तो यह समझेंगे कि मैं पागल हो गया हूँ भोला की प्रार्थना सुनकर प्रभु श्री राम ने उसके गुरु जी को भी दर्शन दिए जिससे गुरुजी का जीवन भी सफल हो गया।
Conclusion
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है हम जितने सरल होंगे उतना ही हम दूसरों से सरलता का व्यवहार करेंगे और अपने जीवन में अपने उस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे जो हमने निर्धारित किया है यह सरलता के बिना संभव नहीं है सरलता से ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है।